Tuesday 23 October 2012

हम बच्चे इस देश के


हम बच्चे इस देश के, नन्हें सजग सपूत।
सद्पथ पर चलते सदा, विश्व शांति के दूत।
विश्व शांति के दूत, देश का नाम करेंगे
जन-जन के मन प्रेम, त्याग के भाव भरेंगे।
जीतेंगे हर जंग, जब तलक बाहों में दम
नन्हें सजग सपूत, देश के बच्चे हैं हम।

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बच्चे क्या जानें भला, कपट, द्वेष या बैर।
सबको अपना मानते, दिखे न कोई गैर।
दिखे न कोई गैर, सभी से हिल मिल जाते
करके मीठी बात, हमेशा मन बहलाते।
जैसा दें आकार, ढलें ये लोए कच्चे
कपट द्वेष या बैर, न जानें भोले बच्चे।
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जिस घर में गूँजे सदा, किलकारी का शोर।
प्यारी मीठी बोलियाँ, हलचल चारों ओर।
हलचल चारों ओर, खिलौने फैले फैले
दीवारों पर दाग, फर्श हों मैले मैले।
कहनी इतनी बात, सभी यह कहते अक्सर
बन जाता सुख धाम, चपल बच्चे हों जिस घर।


-कल्पना रामानी

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